नमस्कार दोस्तों आप ने राजीव दीक्षित को तो सुना ही होगा। वे दृढ़ता के साथ अपनी बात को रखते थे। उनके बोलने की शैली बहुत प्रभावी थी।
वह कुछ इस तरह बोलते थे कि उनकी बोली हुई बात है सीने में तीर की तरह चुभ जाती थी। वे बड़े ही प्रखर वक्ता थे।
राजीव दीक्षित बिना अटके पांच पांच घंटे तक भी व्याख्यान दिया करते थे। आम व्यक्ति तो इसी सोच में पड़ जाता था कि राजीव भाई को इतना याद कैसे रहता है।
राजीव भाई के मुख से निकले हुए आंकड़े सटीक एवं सुलभ हुआ करते थे। वे इतिहास के अच्छे जानकार थे। उन्होंने गहराई से इतिहास को पढ़ा हुआ था।
लंदन की हाउस ऑफ कॉमंस की लाइब्रेरी के कई दस्तावेज राजीव जी को जुबानी याद थी।
सवाल आता है कि क्या राजीव जी के जैसा प्रभावकारी कोई आम नागरिक भी बोल सकता है?
उत्तर है जरूर।
पर कैसे?
राजीव जी की तरह बोलने के लिए आपको कुछ बातें याद रखनी चाहिए।
प्रभावकारी बोलने में तीन पड़ाव होते हैं।
१) बोलने से पहले याद रखने योग्य बातें
२) भाषण देने के समय याद रखने योग्य बातें
३) भाषण देने के बाद याद रखने योग्य बातें
मैं यदि अपने आपको देखूं, तो मैं मानता हूं कि मैं बहुत खराब तरीके से बोलता हूं। मैं बोलने में खूब अटकता हूं। पर आज मेरा एक यूट्यूब चैनल है। जिस पर मैं स्वयं आकर बोलता हूं।
और मैं यह कह सकता हूं कि मैं जैसा सामान्य रूप से बोलता हूं उसकी तुलना में YouTube पर काफी अच्छा बोलता हूं।
मैं यह मानता हूं कि आप भी बिना अटके हुए राजीव दीक्षित जी की तरह बोलना सीख सकते हैं।
१) बोलने से पहले याद रखने योग्य बातें
बोलने से पहले ही आपको अपने विषय की अच्छी तैयारी करनी होगी। मैं जब यूट्यूब पर बोलता हूं तू उससे पहले दो बार अपने मन में बोलकर सभी बिंदुओं को दोहराता हूं।
तैयारी करने के लिए मुख्य बिंदुओं में कुछ तथ्य शामिल करें। भाषण देने के समय तथ्यों का होना बहुत जरूरी है। हम जब तथ्य लोगों के सामने रखते हैं तो लोगों के मुंह बंद कर सकते हैं।
तथ्य क्या होते हैं?
तथ्य को हम दो तरीके से पहचानते हैं। एक तो नाम और दूसरा अंक। तथ्य में मुख्यत: नाम और अंक शामिल होते हैं।
राष्ट्रपति भवन में 340 कमरे होते हैं।
राष्ट्रपति भवन नाम है। 340 अंक है।
इस तरीके से जब हम तथ्यों को संकलित करते हैं फिर श्रोता के सामने रखते हैं तो भारी से भारी प्रभाव पड़ता है।
यह बात मुझे राजीव दीक्षित जी के पिताजी से हुए एक वार्तालाप के द्वारा समझ में आई। वार्तालाप में श्री राधेश्याम दीक्षित बताते हैं कि राजीव हाईस्कूल के समय से ही तर्क वितर्क (debates) में हिस्सा लिया करते थे।
तर्क वितर्क में तथ्यों का बहुत मूल्य रहता है। इससे मैं समझ गया कि अच्छे तरीके से भाषण देने के लिए, हमें तथ्यों को अच्छे से जान लेना चाहिए।
भाषण देते समय ध्यान रखने योग्य बातें
एकाग्रता के साथ भाषण दें। निरंतरता बनाने के लिए अगली पंक्ति पहले से ही दिमाग में आ जानी चाहिए।
कई बार एकाग्रता नहीं बन पाती है। इधर-उधर ध्यान भटक जाता है। उस समय हठ करके मन को वापस अपने विषय की ओर लाएं।
आत्मविश्वास के साथ भाषण दें। कई बार ऐसा होता है कि भाषण देने की इच्छा नहीं होती है। हम परिस्थिति से डर जाते हैं। पर ऐसे न डरा करें।
मैं कभी इस प्रकार सोचता हूं कि, आज मैंने भाषण तैयार कर लिया है अब इसको कल बोलूंगा। फिर सोचता हूं कि आज ही बोल लेना चाहिए। क्या मालूम जो मैं कल बोलूं उससे अच्छा मैं आज बोल पाऊं। दूसरों व अपने आप से भिड़ जाइए। और, हठ करके तुरंत बोलिए।
सत्य ही बोलें। एक बार किसी ने राजीव दीक्षित से बीच व्याख्यान में पूछ लिया कि क्या बाबा रामदेव असली बाबा हैं? क्योंकि राजीव दीक्षित बाबा रामदेव के साथ ही काम किया करते थे, उनके विरुद्ध नहीं बोल सकते थे। आश्चर्य की बात है कि उन्होंने बोला। उन्होंने कहा कि बाबा रामदेव असली बाबा नहीं है। वे करोड़ों करोड़ों का धंधा करते हैं। यह जवाब सुनकर के उनके श्रोता गढ़ बहुत प्रफुल्लित हुए। इतना साहसी सत्य!
इस प्रकार बिना चिंता के खुशी के साथ भाषण दें।
भाषण देने के बाद याद रखने योग्य बातें
अब आपने भाषण दे दिया है। क्योंकि आप मूर्तिकार हैं तो आपने जो मूर्ति बनाई है, आपको उसमें गलतियां तो दिखेंगी ही। पर देखने वाले को तो उस मूर्ति में भगवान नजर आता है।
इसलिए घबराएं मत। अगली बार के लिए गलतियों को सुधार लें। जो हुआ अच्छा हुआ, ऐसा सोचें।
उपर्युक्त बातों को आप ध्यान में रखेंगे तब आप राजीव दीक्षित की तरह वक्ता बन पाएंगे।
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