आज युवाओं को गंभीर बीमारी ने घेर लिया है। इस बीमारी का नाम है अब्रह्मचर्य। महात्मा गांधी युवाओं के लिए हमेशा संदेश दिया करते थे। वे कहते थे कि युवा हमारे देश की शक्ति हैं, यदि वे ही शक्ति हीन होकर रह जावे तो हमारा देश जीवित मुर्दों से घिरा रहेगा।
गांधीजी हमेशा युवाओं के लिए कुछ नियम दिया करते थे। कब सोना, कब भोजन इत्यादि सभी बातें बताया करते थे। महात्मा गांधी सिर्फ ज्ञान नहीं बांटते थे अपितु पहले स्वयं उन बातों का पालन करते थे।
जैसे उनका कहना था कि विदेशी छोड़कर स्वदेशी वस्तुओं का इस्तेमाल करो या अपने शरीर को सुदृढ़ बनाने के लिए रोज आधा घंटा चरखा चलाओ, इत्यादि।
महात्मा गांधी के बताए हुए नियम अभिमानी व्यक्ति के लिए असंभव है तो स्वाभिमानी के लिए उतने ही सरल हैं।
वह नियम या समय सारणी इस प्रकार है:
- जल्दी सो जाना और सोकर सुबह जल्दी उठना, व्यक्ति को शक्तिशाली, धनवान और बुद्धिमान बनाता है। युवाओं को रात को ९:०० बजे सो जाना चाहिए और ४:०० बजे सो कर उठ जाना चाहिए। यह एक सुंदर नियम है।
- खाली पेट ही सोने जाना चाहिए। इसका मतलब आप का आखिरी आहार शाम ६:०० बजे के बाद नहीं होना चाहिए। रोज सुबह उठने पर और रात को सोने से पहले खुली हवा में पैरों से तेज चलना चाहिए।
- आपको भोजन का परिमाण व समय निश्चित कर लेना चाहिए और उसी अनुसार भोजन ग्रहण करना चाहिए।
- रोजाना ईश्वर के समक्ष प्रार्थना करने का समय निकालें
गांधीजी द्वारा विद्यार्थियों एवं ब्रह्मचारियों के लिए कुछ बातें।
- आपको अपने स्वाद को शांत करने के लिए नहीं बल्कि अपनी भूख को शांत करने के लिए भोजन करना चाहिए। अथवा आपको खाने के लिए नहीं जीना चाहिए बल्कि जीने के लिए खाना चाहिए। इसलिए आपको समस्त मदहोशी पैदा करने वाले पदार्थों से दूर रहना चाहिए। शराब जो कि उत्तेजना पैदा करती है, मादक पदार्थ जो विवेक का छय करते हैं, इनसे आपको दूर रहना चाहिए।
- अच्छे व निर्मल लोगों की संगति में रहना चाहिए।
- आपको कामवासना वाली किताबें, चित्र (व चलचित्र) का सर्वथा त्याग कर देना चाहिए और इंसानियत सिखाने वाली किताबें पढ़ना चाहिए।
- आप एक किसी पुस्तक को चुन लें और उसे हमेशा के लिए अपना मित्र बनाएं।
- आप थियेटर और सिनेमा से बचकर रहेंगे। मनोरंजन की जगह मनोभंजन को चुनेंगे।
- स्वप्नदोष से बचने का उत्तम बाहरी उपाय: बहुत ठंडे पानी से रात को सोने से पहले नहाना।
- स्वयं को व्यस्त एवं मस्त रखें, अस्त-व्यस्त न होने दें।
- आहार में गर्म अथवा मसालेदार पदार्थों का सेवन करने से बचें, जो बुरे विचारों के लिए निमित्त बन सकते हैं। मिर्च-मसाले, तली हुई सब्जियां, मिठाईयां, इत्यादि से बचें।
- पति-पत्नी एकांतवास से बचें एवं अलग-अलग कमरों में वास करें।
- पवित्र विचार ही अपवित्र विचारों के लिए कटार रूप हैं।
बस यही कुछ बिंदुओं को आपको याद रखना चाहिए। यह सारी बिंदु स्वयं महात्मा गांधी द्वारा लिखी गई हैं। इनका स्रोत है गांधीजी द्वारा लिखी गई self-indulgence vs self-restraint नाम की पुस्तक।
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