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Showing posts from June, 2022

Dr Leslie Hempson on Khadi

Dr. Hempson’s research examines the socio-material and knowledge practices involved in the making of the modern Indian economy in the late colonial and early postcolonial periods. She is currently revising her dissertation, titled “The Social Life of Khadi: Gandhi’s Experiments with the Indian Economy 1915-1965," for publication. Denison University Khadi, or handspun, handwoven cloth, is perhaps the most well known of all Indian material artifacts, having served as the unofficial uniform of the Indian nationalist movement. However, it also played a vital economic role, for it lay at the center of Mohandas Gandhi's alternative vision of the Indian economy. This alternative vision called for a shift in the prevailing mode of economic development toward one that was more equitable and sustainable, concerned above all with the empowerment of individual artisans. In these and other respects, Gandhiji's vision of the economy diverged sharply from the one subscribed to by many of

Khadi Guide by Charkha Sangh 1927 & 1929

A lot of information has been given in Khadi Guide published by Charkha Sangh. It gives particulars of the progress of Khadi in every province, the output and the sales in each one of them. Every person who loves Khadi should have a copy of this booklet.  M.K Gandhi 6-2-1930   Khadi Guide 1927   Khadi Guide 1929

Economics of Khadi | Gandhian Economics

Economics of Khadi: This book is the collection of articles on Khadi written by Mahatma Gandhi, appeared time to time in Young India and Harijan magazines इकोनॉमिक्स ऑफ खादी भूमिका लेखक देशरत्न बाबू राजेंद्र प्रसाद, प्रकाशक-नवजीवन प्रेस कालपर अहमदाबाद। पृष्ठ संख्या ६२७ साथ में इंडेक्स। मूल्य ₹४ प्रस्तुत पुस्तक पूज्य गांधी जी द्वारा समय-समय पर यंग इंडिया वह हरिजन पत्रों में लिखे गए लेखों का संग्रह है। उस समय की परिस्थिति में जबकि हिंदुस्तान व उसके बाशिंदों के लिए विधायक कार्यक्रम के सिवाय-जिसका की मुख्य स्तंभ खादी है-कोई दूसरा चारा नहीं वहां प्रत्येक देश भक्त कार्यकर्ता के हाथ में इस किताब का होना जरूरी था। खादी कैसे शुरू हुई; क्या क्या अड़चनें आईं; उनका क्या हल निकाला गया; व्यक्ति, समाज, देश व संसार के कल्याण के लिए क्या कुछ संदेशा लेकर वह अवतरित हुई थी इत्यादि बातों को पाठक इसमें पाएंगे। इसके अध्ययन से जो ज्ञान, स्फूर्ति, प्रेरणा व मार्गदर्शन प्राप्त होगा वह प्रत्येक देशभक्त के लिए एक अमूल्य निधि साबित होगी।

The Wheel of Fortune By Mahatma Gandhi 1922

 

खादी की कहानी | Khadi ki kahani by Jerajani Vithaldas a Khadi Salesman

जेराजानी विठ्ठलदास जी ने भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई में मुख्य भूमिका निभाई। उन्होंने खादी को बेचकर गांधी जी की बड़ी मदद की। गांधी जी को श्री जेराजानी विठ्ठलदास से खादी बिक्री के लिए काफी उम्मीदें थी। जेराजानी विठ्ठलदास मुंबई खादी भंडार की देखभाल करते थे। इनकी विशेषता यह थी कि यह बड़े बिक्रीकार थे।  प्रस्तुत किताब जेराजानी जी ने आत्मकथा के रूप में लिखी। इसलिए यह किताब बढ़ी रोचक है। खादी की कहानी: यह किताब इतिहास में Khadi sales से संबंध रखती है। २० वीं सदी में कैसे खादी विक्रय होता था, यह समग्र बातें  Story of Khadi में दी गई हैं।  

खादी जगत पत्रिका | khadi Jagat Monthly from July 1941 to August 1948

Khadi Jagat Folder Click Here: खादी जगत पत्रिका के अंक हिंदी भाषा में Credits: Gandhi Heritage portal