जैन धर्म के अनुसार ४ दान बताए गए हैं। वे इस प्रकार हैं:
- आहार दान: उत्तम पात्र को भोजन इत्यादि खिलाना आहार दान कहलाता है।
- औषधि दान: संयमी को शारीरिक कष्ट आ जाने पर उसके निवारण करने हेतु दवाइयां इत्यादि इलाज औषधी दान कहलाता है।
- अभय दान: सुपात्रों को भय हो सकने की वस्तुओं का निवारण करना। आवास इत्यादि की व्यवस्था करना अभयदान कहलाता है।
- उपकरण दान: साधु साध्वियों को पिच्छिका-कमंडल, शास्त्र आदि दान करना उपकरण दान कहलाता है।
चारों दान में प्रसिद्ध कौन-कौन हुआ?
- आहार दान: राजा श्रेयांश ने आदिनाथ भगवान को आहार दान दिया।
- अभयदान: शूकर सिंह से मुनि महाराज को बचाते बचाते देवगती को प्राप्त हुआ।
- औषधी दान: सेठ पुत्री वृषभ सेना। श्री कृष्ण का मित्र वैद्यराज।
- उपकरण दान या ज्ञान दान: गोविंद ग्वाला का सद्गति पाकर कौंडेश मुनि के पर्याय में श्रुतज्ञ बनना
Comments
Post a Comment