छुक-छुक-छुक-छुक रेल चली है जीवन की
छुक-छुक-छुक-छुक रेल चली है जीवन की
खाना पीना हंसना गाना रोना धोना
सुख दुःख सुख दुःख सुख...
छोटी-छोटी सी बातों से लंबी-लंबी ख़बरों तक
ये गाड़ी ले जाएगी हमको माँ की गोद से कब्रों तक
चिल्लाते सब रह जायेंगे हो-ओ-ओ-ओ-ओ...
चिल्लाते सब रह जायेंगे रुक-रुक-रुक-रुक
छुक-छुक-छुक-छुक रेल चली है जीवन की...
सामां बाँध के रक्खो लेकिन चोरों से होशियार रहो
जाने कब चलना पड़ जाये चलने को तैयार रहो
जाने कब शीटी बज जाये हो-ओ-ओ-ओ-ओ
जाने कब शीटी बज जाये सिग्नल जाये झुक
छुक छुक छुक छुक रेल चली है जीवन की
पाप और पुण्य की गठरी बाँधें सत्य नगर को जाना है
जीवन नगरी छोड़ के हमको दूर सफर को जाना है
ये भी सोच ले तूने क्या-क्या माल किया है
बुक-बुक-बुक-बुक-बुक
छुक-छुक-छुक-छुक रेल चली है जीवन की
रात और दिन इस रेल के डिब्बे और साँसों का इंजन है
उम्र हैं इस गाड़ी के पहिये और चिता स्टेशन है
जैसे दो पटरी हो वैसे साथ चले सुख दुःख सुख दुःख सुख
छुक-छुक-छुक-छुक रेल चली है जीवन की हो-ओ-ओ-ओ-ओ...
Comments
Post a Comment