राष्ट्रीय ध्वज संहिता में बदलाव: खादी के अलावा इन कपड़ों का भी बन सकता है तिरंगा | Har Ghar Tiranga abhiyan
एक ऐसा ध्वज जिसको हम अपना मानें। एक ऐसा ध्वज जिसके लिए हम मर मिटें। बहुत अच्छा पराक्रम है सरकार का।
तारीख १३ मई २०२२ को केंद्रीय कैबिनेट सचिव और समिति द्वारा तय किया गया कि तिरंगा सिर्फ औपचारिक न रहे। हर हर तिरंगा रहे।
पर थोडा़ सूक्ष्मता से विचार करें तो यहां एक बदलाव का अवसर है।
झंडा कैसा हो?
१) महात्मा गांधी के द्वारा सन् १९२१ सुझाया गया झंडा खादी का हो
२) तिरंगे में यह तीन रंग हों: भगवा, सफेद और हरा जो सर्व धर्म समभाव की भावना पैदा करता हो
३) बीच में चरखे का प्रतीक हो जो यह बताए कि भारत की economy ग्रामीण उत्पादन को export करने से ही बढ़ेगी।
Flag of Bharat(Khadi) 1921 |
Flag of Bharat(Khadi) 1931 |
गांधी जी द्वारा निर्देशित ऐसे तिरंगे का अस्तित्व सन् १९२१ से लेकर सन् १९४७ तक रहा। फिर सन् १९४७ में उस समय की धारा सभा द्वारा झंडे से चरखे को हटा दिया गया और अशोक चक्र जोड़ दिया गया।
Khadi flag 1947 |
सन् २०२१ तक यह कानूनी नियम था कि राष्ट्रीय ध्वज खादी के अलावा किसी अन्य तरीके से न बना हो। क्योंकि तिरंगे की आत्मा है खादी। खादी जो कपास से बनी हो, हाथ से कती हो और हथकरघा द्वारा बुनी हो। ऐसा तिरंगा ही सच्चा तिरंगा है।
जैसा कि तिरंगा का protocol है वैसा ही तिरंगा हर घर हो तो कितना अच्छा हो। इससे:
१) भारतीय कत्तिनों और बुनकरों को रोजगार मिलेगा
२) polythene और polyester से आवश्यक मुक्ति मिलेगी
३) कपास की खेती करने वाले किसान भूखों नहीं मरेंगे
४) आपकी नजरों में भी तिरंगे की कीमत कम नहीं होगी।
प्रोफेसर सिबी के जोसेफ के लेखों से प्रभावित।
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