आप लोग दूरदर्शन पर कोई नाटक देखते होंगे। आपको पता है कि आपका मन पसंदीदा नाटक रात को ठीक आठ बजे प्रसारित होता है। अब मान लीजिए कि एक रात आप ताम-झाम करके नाटक देखने को बैठे। और वह नाटक उस रात प्रसारित ही नहीं हुआ तब आपको कैसा लगेगा?
मान लीजिये अगले दिन वही नाटक सुबह ११:०० बजे प्रसारित हुआ और तब आप किसी कार्य में व्यस्त हैं, तो आपको कैसा लगेगा?
अब यह तो रही नाटक की बात। नाटक तो पुनः प्रसारित होते रहते हैं। पर, जो कार्य आपको प्रयत्न पूर्वक करना पड़ता है उसका क्या? उसमें तो ऐसी लेट-लतीफी की कोई गुंजाइश नहीं है।
जिस समय आप अपनी दुकान खोलते हैं, रोज उसी समय खोलें तब तो ठीक है। परन्तु, इसके उलट आप किसी भी समय अपनी दुकान खोलें और कभी भी बंद कर दें, तो क्या ग्राहक आपसे प्रभावित होगा? क्या उस ग्राहक को कभी आप पर भरोसा होगा? और भरोसे के बिना क्या कभी आपकी दुकान चल सकती है?
ऐसा कौन सा जाना-माना अभिनेता जो समय पाबंद भी है?
आप सभी अक्षय कुमार को तो जानते ही होंगे। ये भारत के जाने-माने अभिनेता हैं। एक बार एक साक्षात्कार में इनसे पूछा गया कि "आपकी सफलता का राज क्या है?" जवाब मिला "समय पाबंदी।"
"मेरे को आज भी वो वक्त याद है जब मेरी लगातार बहुत सी फिल्में नहीं चली थीं। इसी बीच मैंने एक दिन अपने दो निर्माताओं के बीच चल रही बात सुन ली थी। एक निर्माता बोला कि इस फिल्म में अक्षय को ले लेते हैं क्योंकि वह समय पर सेट पर आता है। कम-से-कम फिल्म तो जल्दी खत्म हो जाएगी।"
अक्षय कुमार के तंदुरुस्ती का राज भी समय पाबंदी ही है। वे कहते हैं "यदि आपको अक्षय कुमार जैसा तंदरुस्त शरीर चाहिए तो जिम जाना छोड़ दें, बॉडी वेट एक्सरसाइज करें, सुबह ५:०० बजे जाग जाएं, शाम को ६:३० बजे तक भोजन कर लें। आप स्वयं में बदलाव देखेंगे"
अब आप अनुमान लगा सकते हैं कि समय पाबंदी का कितना महत्व है।
क्या कोई कार्य समय से पहले करना ठीक है?
हर काम का एक समय होता है। आप किसी को सुबह ६ बजे का खाने का निमंत्रण दे आएं तो, क्या वह व्यक्ति इसे मान सकेगा? नहीं।
जो व्यक्ति समय पर अपना कार्य नहीं करते उन्हें क्या कहा जाए? आपको समय पर भूख न लगे। समय पर नींद न आए। समय पर कोई काम खत्म न कर पाएं। तो आपके लिए कहा जा सकता है कि आप अस्वस्थ हैं।
स्वस्थ तो आप तब ही कहलायेगें जब आप का हर काम समय पर हो।
आप के लिए सबसे अच्छा उदाहरण सूरज का है। वह हर दिन समय पर अपने दर्शन दे देता है। बिना चूके। और जब तक सूरज है तब तक हमारा अस्तित्व है। कितना बड़ा उपकार है सूरज का हम लोगों पर।
हमें भी सूरज से प्रेरणा लेनी चाहिए। और अन्य प्राणी के लिए सूरज की भांति, समय पर उपकार करना चाहिए।
बचपन में जब मैं मेरी नानी के घर जाया करता था तब शाम होने पर एक गाय निश्चित समय पर आकर चबूतरे पर खड़ी हो जाती थी। वह तो रोटी की प्रतीक्षा में रहती थी। पर वह भी समय पाबंद थी। यदि आप उसे रोटी न दें तो वह क्यों आए?
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