दृष्टि पल्टा दो, तामस समता हो, और कुछ ना
आचार्य श्री विद्यासागर जी
अर्थात: तामस और समता, एक दूसरे को पलटाने से, यानि अंधकार में समता रखूं
कैसे समता रखूं ?
- दु:खों में सुख खोजें
- प्रतिकूलता में अनुकूलता ढ़ूढ़ें
- बुराई में अच्छाई देखें
- विपत्ति में संपत्ति देखें
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
हायकू भावार्थ
तामस का मतलब अंधकार एवं समता का तात्पर्य शत्रु मित्र,सुख दुःख,लाभ अलाभ और जय पराजय में हर्ष विवाद नहीं करना एवं समभाव रखना ही होता है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि तामस और समता को एक दूसरे को पलटने से अंधकार में समता भाव रखना यानी अपनी द्वष्टिकोण को बदलना होगा। समता भाव रखने के लिए दुखों में सुख खोजना प़तिकूलता में अनुकूलता ढूंढना, बुराई में अच्छाई देखने का प्रयास एवं विपत्ति में संपत्ति देखना चाहिए। अतः जीवन में हर एक मामले में समता का भाव रखना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
कहते हैं दृष्टि के बदलने से सृष्टि बदल जाती है उसी तरह तामस को बदलने से समता बन जाती है। आचार्य भी कहते हैं कि जब मोह रूपी अंधकार के नष्ट होने पर राग द्वेष नष्ट हो जाता है और राग द्वेष के नष्ट होने पर समता आ जाती है और समता आ जाने पर ध्यान करने से कर्म शीघ्र ही नष्ट हो जाते हैं और फिर कुछ नही बचता तुरन्त मोक्ष हो जाता है।
अतः जहां हमारी शांति भंग हो रही हो वहां से मुख मोड़ लेना चाहिए।
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