घर घर में माटी के चूल्हे होना | ghar ghar mati ke chulhe hona
घर घर मिट्टी के चूल्हे
घर घर मटियाले चूल्हे हैं या घर घर मिट्टी के चूल्हे हैं, लोकोक्ति का भावार्थ क्या है?
कोई आसूदा हाल नहीं सब एक जैसी हालत में हैं। सब लोगों के अपने हिस्से के सुख-दुख का एक समान होना।
लोकोक्ति "घर घर मिट्टी के चूल्हे हैं" का भावार्थ यह है कि हर घर की अपनी समस्याएँ होती हैं। यह कहावत इस बात को दर्शाती है कि चाहे कोई कितना भी सुखी या संपन्न दिखे, हर व्यक्ति या परिवार को कुछ न कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
यह लोकोक्ति हमें यह सिखाती है कि दूसरों की परिस्थितियों को देखकर उनके जीवन को आसान या बेहतरीन मान लेना सही नहीं होता, क्योंकि हर किसी को अपने-अपने संघर्ष झेलने पड़ते हैं।
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