चार बांस चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण
ता ऊपर सुल्तान है मत चूके चौहान
मत चूके चौहान पर ऐतिहासिक कहानी
स्वदेशी स्रोतों में कहा गया है कि पृथ्वीराज चौहान ने ११८६ से ११९१ के दौरान मोहम्मद ग़ौरी को १७ बार पराजित किया।
११९१ में तराइन के पहले युद्ध में मोहम्मद गौरी की हार हुई। कहते हैं कि एक सिपाही ने अधमरी हालत में उसे घोड़े पर चढ़ाया और युद्ध के मैदान से भाग निकला। ग़ौरी की सेना भी भागने लगी। लेकिन, पृथ्वीराज ने भागती सेना का पीछा नहीं किया। यही उसकी ऐतिहासिक भूल बताई जाती है।
इसके एक साल बाद ग़ौरी भारी फौज लेकर फिर आया। साल ११९२ में हुए तराइन के इस दूसरे युद्ध में पृथ्वीराज हार गये। लेकिन इसके पीछे की भी एक कहानी है जिसमें पृथ्वीराज के दोस्त जयचंद और उनकी बेटी संयोगिता संग पृथ्वीराज का विवाह दोनों राजाओं की दोस्ती में दरार की वजह बना।
पृथ्वीराज रासो के मुताबिक मोहम्मद शहाबुद्दीन गौरी पृथ्वीराज चौहान को कैदी रूप में गजनी ले गया जहां पृथ्वीराज चौहान की दोनों आंखें निकाल ली गईं। हालांकि इस दौरान पृथ्वीराज चौहान की उनके मित्र चंदबरदाई से मुलाकात हुई।
इतिहासकारों का मानना है कि पृथ्वीराज चौहान शब्द भेदी बाण की कला में निपुण थे। जब गौरी ने पृथ्वीराज को बंधक बना लिया तो चंद बरदाई भी वहां गए। उन्होंने मोहम्मद गौरी को पृथ्वीराज चौहान के शब्दबेधी बाण चलाने के कौशल के बारे में बताया। गौरी हैरान रह गया और ये कला देखने की इच्छा जताई। लेकिन इससे पहले गौरी ने पृथ्वीराज की आंखें गर्म सलाखों से फोड़ दीं।
वो आश्वस्त था कि एक नेत्रहीन क्या ही कौशल दिखाएगा। लेकिन जब गौरी ने शब्दभेदी बाण की कला देखने के लिए चौहान को बुलाया तो चंदबरदाई ने वह प्रसिद्ध छंद पढ़ा। '' चार बांस चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण ता ऊपर सुल्तान है मत चूके चौहान''। इसी के बाद पृथ्वी ने तीर चलाकर गौरी को मार गिराया।
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