तुलसी इस संसार में भाँति-भाँति के लोग।
सबसे हँस-मिल बोलिए नदी नाव संजोग।।
तुलसी इस संसार में भांति भांति के लोग का अर्थ
तुलसीदास जी कहते हैं कि इस संसार में भांति भांति के लोग हैं। आपका कर्तव्य है कि आप सभी से हंस मिलकर बोलिए। क्योंकि यहां पर सब कुछ नदी नाव सहयोग है। यानी कि हम एक दूसरे से बस थोड़े समय मिलते हैं फिर बिछड़ जाते हैं।
क्योंकि इस संसार में आपकी जिंदगी कितनी देर की है? जैसे नाव से उतरते ही नदी खत्म हो जाती है, या यह कह लीजिए कि नदी और नाव का सहयोग बस थोड़ी देर का होता है। जैसे नदी से पार हुए वैसे सब कुछ पीछे छोड़ते हुए चले जाते हैं। वैसे ही इस संसार में उम्र खत्म होते ही आपको इस संसार से जाना पड़ेगा। फिर दो दिन के लिए क्यों किसी से बैर भाव रखना है? क्यों किसी से लड़ना है? सब नदी नाव संजोग है।
नदी नाव संजोग का अर्थ
नदी नाव सहयोग का अर्थ है: कभी – कभी मिलना, थोड़े समय का साथ होना।
दरअसल कबीरा इस संसार में दोहा कबीर दास जी का ना होकर के तुलसीदास जी का है।
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