लीक लीक तीनों चलें कायर, कूत,कपूत
बिना लीक तीनों चलें शायर, सिंह, सपूत
लीक पर चलने का क्या अर्थ होता है?
लीक पर चलने का अर्थ होता है कि जो रास्ता पहले से बना हुआ है उस पर बिना सोचे समझे चलना।
लीक लीक तीनों चलें कायर, कूत,कपूत का अर्थ
भेड़ों की प्रवृत्ति होती है कि जिधर से आगे की भेङ निकल गई बस बाकी भेड़े सब उसी रास्ते से जाएंगी। किंतु समाज में जो उत्कृष्ट प्रतिभाएं होती है, वह अनिवार्यत: पहले से ही चली आ रही लीक को तोड़ती है और अपनी नई लीक बनाती है। कोई भी शायर, कभी अपने पहले से लिखी गई कविता का अनुकरण नहीं करना चाहता, वह हमेशा 'अंदाजे बयां और' की तलाश में रहता है। क्या जंगल में शेर किसी रास्ते का अनुमान करता है, वह जिधर से गुजरता है वही उसका रास्ता होता है। इसी तरह को पुत्र अपने पिता पुरखों की संपत्ति, काम करने के तरीकों आदि को अंधा होकर भोगता है, पालन करता है किंतु एक होनहार पुत्र अपने पुरखों के मार्ग को प्रशस्त करता है, उनमें सुधार करता है, उन को आगे बढ़ाता है। यद्यपि लीक से हटने पर शुरू में समाज चौंकता है, आलोचना होती है, किंतु अंततः वह लीक से हटने के औचित्य को समझता है और फिर उसका अनुगमन भी करता है। संसार के इतिहास में ईसा, सुकरात, लिंकन, गांधी आदि के अनेक उज्जवल उदाहरण मौजूद हैं जिन्होंने अपने जीवन की आहुति इसलिए दी कि वह पारस्परिक लीक से हटकर समाज को एक बेहतर रास्ता दिखा रहे थे।
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