पाँच पहर धन्धे गया, तीन पहर गया सोय।
एक पहर हरि नाम बिन, मुक्ति कैसे होय।।
पहर का मतलब क्या?
एक पहर = ३ घंटेपांच पहर = १५ घंटे
तीन पहर = ९ घंटे
पांच पहर धंधे गया कबीरदास भावार्थ
Panch pahar dhandhe Gaya, teen pahar rah soye
Ek pahar bin Prabhu Naam ke, Mukti kaise hoye?
पाँच पहर धन्धे गया, तीन पहर गया सोय।
एक पहर हरि नाम बिन, मुक्ति कैसे होय।।
व्यक्ति के १५ घंटे लगभग धंधे में बीत जाते हैं। और ९ घंटे वह आराम कर लेता है। बचे कितने? शून्य घंटे।
कबीर दास जी का कहना है कि हमें कम से कम ३ घंटे तो भगवान की उपासना करनी चाहिए। तभी हम अपनी मुक्ति की कल्पना कर सकते हैं।
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