आलस का फल एक कहानी के द्वारा हम समझें।
एक समय की बात है एक व्यक्ति जिसका नाम मोहन था। सर्दी पढ़ते ही उसके हाथ और पैरों में खुरा हो जाते थे।
एक ऐसी बीमारी जिसको अंग्रेजी में pernio भी कहते हैं। यह बीमारी चर्म रोग से संबंधित है। यह सिर्फ ठंड के दिनों मे शीतल प्रदेशों में रहने वाले कुछ एक व्यक्तियों को होती है। इसमें जमकर के हाथ और पैरों में सूजन आ जाती है, खुजली होने लगती है। व्यक्ति का जीवन इस खुजलाहट के होने से नरक सा बन जाता है।
यही बीमारी मोहन को थी। सर्दियों के दिनों में मोहन हाथों और पैरों में मोजे पहनता था। एक दिन वह अपनी छत पर था। इतने दिनों से बहुत तीव्र सर्दी पड़ रही थी, पर आज के दिन कड़ाके की धूप भी निकली थी। सर्दी का मौसम और कड़ाके की धूप, यह खुरे की बीमारी के लिए आग में तेल का काम करती है।
मोहन अपनी छत पर पढ़ रहा था। इतने में उसको जमाई आ गई। उसको अब नींद भी आने लगी थी। दोपहर का समय था। वह जमीन पर सो गया। पैरों में मोजे तो थे ही, पर हाथ में मोजे नहीं थे! मोहन को पता था कि यदि हाथ धूप में खुले रह गए तो बाद में यह खुरे की बीमारी को पैदा कर देंगे। पर मोहन ने आलस कर दिया। वह सो गया।
आधा घंटे बाद गर्मी के कारण मोहन की नींद खुल गई। और उसने देखा कि उसके हाथ की उंगलियां लाल हो गई हैं। एक-दो दिन के बाद उसके उंगलियां फूलने लगीं थी। अब उसकी उंगली में इतनी सूजन आ गई थी कि उसकी जिंदगी भी सर्दी में नर्क के समान काम करने लगी।
उसको अनुभव और दूसरों से शिक्षा लेने के बावजूद भी, आलस के कारण, वह अपनी छत से नीचे उतरकर अपने कमरे में से हाथ के मोजे नहीं लाया। और वहीं सुस्ती के कारण सो गया।
काश वह हाथ के मोजे ले आता, आलस नहीं करता, तो उसके हाथ आज सुरक्षित होते। ठीक उसके पैरों के जैसे।
जबकि उसका पुराना अनुभव बताता है कि पैरों में ज्यादा खुजली होती है हाथों की तुलना में। पर इस बार उसने पैरों को तो बचा लिया पर हाथ को नहीं बचा पाया, और उसको बीमारी हो गई।
तो देखा दोस्तों आपने, आलस का फल क्या हुआ। आलस्य करना एक प्रकार की बेवकूफी है।
व्यक्ति आलस करते समय इस बात को नहीं पहचानता कि हमारे जीवन का समय हमारे कल्याण के लिए बहुत कम है। आजकल व्यक्ति की उम्र १०० साल से करीब होती है। पहले व्यक्ति की उम्र हजार हजार और लाख-लाख साल तक दिखती थी। १०० साल बहुत कम है।
इसलिए हमें आलस नहीं करना चाहिए और जितनी बन सके उतनी मेहनत करनी चाहिए।
Quotes on laziness in Hindi
भक्ति निसैनी मुक्ति की, संत चढ़े सब धाय।
जिन जिन मन आलस किया, जनम जनम पछिताय।।
कबीर यह मन लालची, समझै नहिं गंवार।
भजन करन को आलसी, खाने को तैयार।।
बालपन भोले गया, और जुवा महमंत ।
वृध्दपने आलस गयो, चला जरन्ते अन्त ।।
कबीर दास
आलस के सौ वर्ष भी, जीवन में हैं व्यर्थ।
एक वर्ष उद्यम भरा, महती इसका अर्थ।।
महेन्द्र वर्मा
रोगी भोगी आलसी, बहमी हठी अज्ञान।
ये गुण दारिदवान के, सदा रहत भयवान॥
बुधजन
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