Nonviolence is a universal law acting under all circumstances.
Mahatma Gandhi
अहिंसा एक सार्वभौमिक कानून है जो सभी परिस्थितियों में कार्य करता है।
महात्मा गांधी
भारतीय संविधान पर गांधी जी का विचार | Gandhi on Bhartiya constitution
दोस्तों यदि हम राजीव जी की बात पर ध्यान दें तो उनका कहना है कि भारतीय संविधान से किसी का भी भला नहीं होने वाला है। राजीव दीक्षित भाई ने स्पष्ट रूप से इस बात को बताया है कि भारतीय कॉन्स्टिट्यूशन संसार के अनेकों कॉन्स्टिट्यूशन को मिला करके बनाया है। यह बात तो हम और आप दोनों ही मानेंगे की भारत और संसार के वातावरण में बहुत अंतर है। तो इसके नियम भी अलग अलग ही होने चाहिए।
भारतीय संविधान में इतनी गलतियां हैं कि उसको हर एक कानून पर अमेंडमेंट करने रहते हैं। अमेंडमेंट यानी कि सुधार। एक विद्वान एवं इतिहासकार श्री धर्मपाल के अनुसार भारतीय कानून में जो २५०० - ३००० कानून है, उनको हटाकर सिर्फ २५-५० कानूनों से ही देश चलाया जा सकता है। मजे की बात यह है कि महात्मा गांधी के अनुसार यह २५-५० कानूनों की भी जरूरत नहीं थी। महात्मा गांधी के अनुसार संविधान में सिर्फ एक कानून होना चाहिए वह होना चाहिए अहिंसा। और यदि दूसरा कुछ उस में जोड़ना है तो वह जोड़ दीजिए सत्य।
राजीव दीक्षित का यह कहने का भी अर्थ निकलता है कि सब देशों के संविधान का कचरा हमारे देश के संविधान में भर दिया है। स्वयं भीमराव बाबासाहेब आंबेडकर इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस संविधान से किसी का भी भला नहीं होने वाला है।
संविधान की आवश्यकता आखिर क्यों है?
नमस्कार दोस्तों, आज हम आपको बतायेंगे कि आखिर हमें संविधान कि क्यों जरूरत है?
संविधान का मतलब क्या होता है?
संविधान शब्द सम् + विधान की संधि से बना हुआ है। संविधान शब्द का अर्थ है, सभी के लिए एक सा विधान।
फिर गणतंत्र कहां से आया?
गणतंत्र का अर्थ होता है कि प्रजा अपने द्वारा बनाए गए नियमों पर ही चलेगी।
२६ जनवरी क्यों है महत्वपूर्ण?
२६ जनवरी १९५० की तारीख को हमारा संविधान हम पर लागू हुआ था।
तो क्या इसका मतलब यह समझें कि इससे पहले हमारे देशवासी संविधान से अनिभिज्ञ थे? किसी के मन में जो भी आया तो वह मनमानी करें, नियम-कानून से न चले। ऐसी बात नहीं है। ऐसे ही हमारा देश सोने की चिड़िया थोड़े ही न कहलाता था।
हमारे मन में अपने कर्मों के प्रति जाग्रति, ईश्वर से भय अथवा राजा की खड्ग वह काम कर जाती थी जो आज मजिस्ट्रेट साहब का निर्णय एवं दरोगा जी की लाठी भी नहीं कर पाती।
संविधान एवं नियमों का हमारी जिंदगी में क्या महत्व है?
आप जरा सोच कर देखिए कि कैसा हो यदि क्रिकेट में कोई नियम ही न हो। न कोई क्रीज न कोई सीमा रेखा। कोई कैसे भी खेल रहा हो। तब क्या आपको क्रिकेट देखने में मजा आयेगा क्या?
ऐसे अनेकों उदाहरण हैं, जिनसे पता लगता है कि नियमों का हमारे जीवन में कितना महत्व है। आप ट्राफिक नियमों को ही देख लीजिए। क्या हो उनके बिना?
संविधान का विवरण
एक उदाहरण से आपको समझाऊंगा। राजा हरिश्चंद्र को जब शमशान घाट में काम करना पड़ा तो उनको ऐसे आदेश दे कि वे अपनी सेवा के बदले कर जरूर लें। इसका राजा हरिश्चंद्र ने अक्षरशः पालन किया।
जब उनके स्वयं के लड़के का शव राजा हरिश्चंद्र की पत्नी शमशान घाट पर लायीं, तो राजा हरिश्चंद्र ने उनसे भी कर मांगा।
कहने का मतलब इतना ही है कि सबके लिए एक से नियम का नाम ही संविधान है।
किन किन जगहों पर नियमों की आवश्यकता है?
शतरंज के खेल में
ट्राफिक में
क्रिकेट में
इनमें से सभी
भारत का संविधान कब लागू हुआ?
१५ अगस्त १९४८
२६ जनवरी २०२१
२ अक्टूबर १८६९
२६ जनवरी १९५०
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