दोस्तों भारत में गर्मियां करीब अप्रैल से शुरू होकर जुलाई तक चलती हैं। यह गर्मीयां बड़ी सताती है। और हम ऐसे देश में रहते हैं जहां पर गर्मी के मौसम में तापमान ४८ डिग्री सेल्सियस तक भी पहुंच जाता है।
मध्य एवं उत्तर भारत में तो सर्दी और गर्मी बराबरी की तीव्रता से पड़ती हैं। गर्मियों के समय में इन जगहों पर तीखी गर्मी पड़ती है, और ठंड के समय पर इन जगहों में तीखी ठंड भी पड़ती है। जबकि दक्षिण भारत में सर्दी और गर्मी दोनों ही मंद पड़ती हैं।
मध्य और उत्तर भारत के लोगों को दोनों समय में अपने पहनावे का ध्यान देना होता है। तो मैं आपको एक छोटा सा मंत्र बताता हूं। आप लोग जो मध्य भारत एवं उत्तर भारत में रहते हैं, वे सदैव ही सूती कपड़ा पहने। किसी भी मौसम के लिए सबसे बेहतरीन कपड़ा यह सूती कपड़ा ही है।
तो आइए हम जानते हैं कि गर्मियों में सूती कपड़ा क्यों पहनना चाहिए। आप यह बात तो जानते ही होंगे सूती कपड़ा सोखता बहुत अच्छा है। आप जरा भी पानी इसके ऊपर डालें, ये तुरंत ही उसे सोख लेगा।
आप दुनिया में किसी भी जगह पर जाएं, आपको कपास से अच्छा सोखने वाला तत्व कहीं नहीं मिलेगा।
जितनी गति से कपास पानी को सोखता है उतनी ही गति से यह आपके पसीने को भी सोख लेता है। जब कपास आपके पसीने को सोख लेता है तो यह एक प्रकार से आपको पसीने से मुक्त कर देता है। यह पसीना वह तुरंत ही वातावरण में छोड़ता जाता है। तो आपको गर्मीयों में भी गर्मी का एहसास कम होता है।
यह गुण और दूसरे किसी भी कपड़े में नहीं है। यही वजह है कि गर्मियों में सूती वस्त्र पहनने को कहा जाता है।
फिर आप कहेंगे कि ऐसे तो ऊन भी पानी को सोख लेता है। हां यह सोख तो लेता है किंतु वातावरण में इसे जल्दी छोड़ता नहीं, जिससे आपकी त्वचा को बराबर एहसास होता रहता है कि यहां पानी भरा हुआ है।
कपास और ऊन के अलावा भी एक ऐसा कपड़ा है जिसका आप बहुत इस्तेमाल करते हैं, पर इसके बारे में आप जागरूक नहीं है। क्या आप अनुमान लगाना चाहेंगे कि वह कपड़ा कौन सा है?
हां वह कपड़ा यह पॉलिस्टर ही है। सामान्यतः आजकल यह पॉलिस्टर आपके कपड़ों में २० से लेकर ८०% तक पाया जाता है।
एक कपड़ों के विशेषज्ञ को यह सिखाया जाता है कि शारीरिक खेलों के दौरान पॉलिस्टर पहनना बेहतर है। इन लोगों का यह मानना है कि पॉलिस्टर में १ गुण होता है, जिसको की अंग्रेजी में विकिंग कहा जाता है, इसलिए इस पॉलिस्टर को भीषण गर्मी में भी पहन सकते हैं।
और उनका यह भी कहना है कि मैदानों में खेल के दौरान खिलाड़ियों को भी पॉलिस्टर के कपड़े पहनने चाहिए। तो आइए अब हम समझ लेते हैं कि यह विकिंग गुण है क्या?
इस विकिंग गुण का मतलब सीधा सा है कि पॉलिस्टर आपके पसीने को सोखता नहीं है, बल्कि आपके पसीने की बूंद के भार के कारण, वह स्वयं ही पॉलिस्टर के कपड़े से बाहर आने लगती है। और आप जब दौड़ते हैं तो यह बूंद हवा के संपर्क में आने पर सूख जाती है। इस गुण को विकिंग गुण कहा जाता है।
इसमें कपड़े की क्या विशेषता है? यह तो बूंद के भार के कारण स्वतः ही होता है।
और जितनी देर तक यह बूंद आपके शरीर के संपर्क में रहती उतनी देर तक तो आपको यह कष्ट ही पहुंचाती है।
तो अब आप इतने जानकार हो गए हैं, कि आपको पता है कि गर्मियों में कौन सा कपड़ा पहनना चाहिए। वैसे मैं तो यह मानता हूं कि हम भारतीयों को तो यह पहले से पता है कि गर्मियों में सूती कपड़े ही अच्छे होते हैं। जानकारी तो हमें पूरी है, पर हम जागरूक नहीं हैं।
हमें कभी यह पता ही नहीं लगा कि हमारे पहनावे में कब यह पॉलिस्टर घुस आया है, जो कि हमारे पहनावे का लगभग ५०% हिस्सा बन चुका है। यह वही पॉलिस्टर है जो गर्मियों में पसीने के दौरान आपको एलर्जी कर देता है।
तो अब यह आपका कर्तव्य है कि आप अपने पहनावे के प्रति जागरूक रहें। पूछें उस दुकानदार से कि इस कपड़े में कितना प्रतिशत पॉलिस्टर है, उसको सब पता रहेगा। यदि किसी भी कपड़े में २०% से ज्यादा पॉलिस्टर रहा तो उसको तुरंत ही 'ना' कह दें।
शुद्ध सूती कपड़े ही पहने जो आपको गर्मियों में सर्दियों का एहसास कराएंगे।
धन्यवाद।
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