जो दिख रहा है उसको क्या बतलाना। क्या प्रत्यक्ष को भी प्रमाण की कभी जरूरत होती है? आरसी का मतलब यहां पर आईना है।
जिसके हाथ में कंगन हो उसको आईने में उन कंगनों का प्रमाण लेने की क्या आवश्यकता है?
हाथ कंगन को आरसी क्या विस्तार?
संस्कृत में एक सूक्ति है- प्रत्यक्ष किम् प्रमाणम् ? तात्पर्य कि जो प्रत्यक्ष है अर्थात् जो सामने है उसके लिए प्रमाण की क्या आवश्यकता) हिन्दी में 'हाथ कंगन को आरसी क्या?' संस्कृत की इसी उक्ति पर आधारित है। 'हाथ कंगन को आरसी क्या?' अर्थात् हाथ मे जब कंगन स्पष्ट दिखाई पड़ रहा है तब आरसी अर्थात् आईने की क्या जरूरत? मतलब कि जो प्रत्यक्ष है उसके लिए प्रमाण की क्या आवश्यकता?
ऐसे ही पढ़े लिखे को फारसी क्या? का अर्थ है:
पढ़े लिखे होने पर ऐसी आशा रखी जाती है कि आपको फारसी आती होगी या फारसी आपके लिए सरल विषय है। पर इसका सार इतना ही है कि प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं होती।
आप सत्य बोल रहे हैं तो आपको उसका प्रमाण देने की कोई आवश्यकता नहीं है। इसलिए आचार्य भगवन विद्यासागर जी महाराज कहते हैं:
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