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प्राण रक्षक वस्त्र | Healthy Clothing

इस लेख का विषय पढ़ने के दौरान आप लोग यह सोच रहे होंगे कि मैं यह क्या बोल रहा हूं? कोई कपड़ा भी भला क्या प्राण रक्षक होता है? कभी ऐसा देखने में तो आया नहीं है कि किसी व्यक्ति ने किसी प्रकार का कपड़ा पहना हो और वह रोगमुक्त हो गया हो।

आप माने या ना माने पर यह सत्य है। आपको निरोगी रखने के पीछे आपके पहनावे का बहुत बड़ा हाथ है।

खुजली एवं एलर्जी से लेकर स्किन कैंसर तक, जितने भी है चर्म रोग हैं, यह सब आपके पहनावे के दूषित होने के कारण ही तो हैं।

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आप जो कपड़े पहनते हैं उसमें पॉलिस्टर एवं नायलॉन जैसे खतरनाक पदार्थ मौजूद होते हैं। यह पदार्थ इतने खतरनाक है कि सभी प्रकार के चर्म रोग इन्हीं पदार्थों के कारण होते हैं।

मैं आपको पहले भी यह बात बता चुका हूं कि पॉलिस्टर और नायलॉन के कपड़े, बड़ी चुस्ती के साथ बनते हैं। और दूसरा इनमें भगवान का दिया हुआ एक वह गुण भी नहीं पाया जाता जो कि कपास में भारी-भरकम मात्रा में पाया जाता है, वह गुण है सोखने का गुण।

इस पॉलिस्टर कि मैं जितनी भरसक बुराई कर सकूं वह कम है। एक तो यह गर्मी के कारण थोड़ा-थोड़ा पिघलता रहता है। दूसरा, पुराना होने पर यह माइक्रो फाइबर भी पैदा करता रहता है, जो कि इसको फिर जहरीला बना देता है।

यह इतनी जहरीली चीज हमारी रोजमर्रा जिंदगी में घुस आई है और हमें खबर भी नहीं।

क्या आपको यह पता है कि यदि गर्मियों में पॉलिस्टर का कपड़ा आप ज्यादा देर तक पहनेंगे, तो पॉलिस्टर अपने अंदर में से कुछ तत्व आपकी चमड़ी पर छोड़ देगा। यह तत्व चमड़ी पर जाकर तुरंत ही खुजली पैदा कर देंगे, इससे बाद में एलर्जी की शिकायत भी हो सकती है।

वहीं दूसरी तरफ बुखार के समय में आप अपने सर पर कपास की पट्टी का इस्तेमाल करते हैं। ऐसा क्यों? इसकी भी कोई वजह तो होगी। क्योंकि यह कपास आपके सर को ठंडक पहुंचाता है। कोई खुजली नहीं और कोई परेशानी नहीं।

पानी को ना सोख पाने का गुण पॉलिस्टर को कितना घातक बनाता है?

यदि पॉलिस्टर पानी या पसीने को नहीं सोख पाएगा तो यह पानी आपके शरीर में उसी जगह पर बना रहेगा। यदि पानी ऐसे जमता रहेगा तो वहां बैठे-बैठे सड़ेगा। और जब यह सड़ेगा तो वहां पर एक-इंद्रिय जीव या फंगस पैदा करेगा, जिससे आपको यह रोग हो जाएगा।

विशेष रुप से गर्मियों में पॉलिस्टर क्यों नहीं पहनना चाहिए?

जैसा कि मैं आपको पहले बता चुका हूं कि गर्मियों में पॉलिस्टर की यह आदत है कि वह पिघलता रहता है। और जिन पदार्थों से पॉलिस्टर बनता है वह आपके शरीर के लिए अच्छे नहीं होते हैं, अपितु जहरीले होते हैं। यहां तक कि यह पदार्थ आपको कैंसर तक उत्पन्न कर सकते हैं। इसलिए गर्मियों में पॉलिस्टर नहीं पहनना चाहिए।

आग के समक्ष जाने पर कौन सा कपड़ा पहने? | Fire accidents by Polyester

जैसा कि आपको पता होगा कि पॉलिस्टर एक प्रकार का प्लास्टिक है। तो मै यह भी मान लेता हूं कि प्लास्टिक को आपने कभी ना कभी जलाकर देखा है। हां, प्लास्टिक जब जलता है तो पिघलने लगता है। इससे आप क्या समझ सकते हैं?

कभी आप आग के समक्ष गए और आपने पॉलिस्टर का कपड़ा पहना हुआ है, जो कि आप के पहनावे में पहले ही घुस आया है, तो आपका जीवित बचना बहुत मुश्किल है। हां, इतना खतरनाक है यह पॉलिस्टर पहनकर आग के समक्ष जाना।

कपड़ा मिलों में एक यंत्र रहता है जिसको हम सिंजिंग मशीन कहते हैं। इस मशीन के अंदर सदा ही आग को प्रवाहित करते रहते हैं। तो जिस कमरे में यह मशीन रखी रहती है उस कमरे के बाहर एक नोट लिखा रहता है, 'जान का खतरा: अंदर प्रवेश करने से पहले ध्यान रहे कि पॉलिस्टर के कपड़े पहनकर अंदर ना जाए'।

इतना खतरनाक है पॉलिस्टर आपकी जान के लिए। 

वहीं दूसरी तरफ यदि आप आग के पास कपास का कपड़ा पहन कर जाते हैं तो यह खुद तो जल जाएगा पर आपको जलने नहीं देगा। यह कपास की विशेषता है।

कपास कभी भी आपको खुजली एवं परेशानी पैदा नहीं करेगा। 

कहीं चोट लगने पर, कपास कैसे करता है प्राण देयक का काम?

आपने यह तो सुना ही होगा की पट्टियां जो बनती है वह कपास की बनती है। आपको कहीं चोट लग जाए तो यह मरहम पट्टी, सूती वस्त्र की ही बनती है। 

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ऐसा क्यों है? क्या यह मरहम पट्टी पॉलिस्टर के कपड़ों की नहीं बन सकती?

कभी आप यह प्रयोग भी मत कीजिए। क्योंकि जैसा कि पहले भी बताया जा चुका है कि पॉलिस्टर तो प्राण लेयक है ना कि प्राण देयक। 

आप स्वयं ही कल्पना करके देखिए कि आप पॉलिस्टर की पट्टी को थोड़ा सा मरहम लगाकर, उसको थोड़ा सा गर्म करके, अपनी चोट पर लगाएंगे तो क्या होगा?

इसलिए दोहरा रहा हूं कि कभी यह प्रयोग मत कीजिए।

बल्कि कपास के साथ चिकित्सा इसी प्रणाली से होती है। कपास में थोड़ा मरहम लेते हैं, जिसमें हल्दी जैसे पोषक तत्व मलते हैं, फिर इसे थोड़ा सा गर्म करते हैं, फिर चोट पर लगा देते हैं। घाव भरने पर, अब यह कपास आपके शरीर का ही हिस्सा बन जाता है, उसमें घुल मिल करके रहता है। अतः प्राण देयक बन जाता है।

कपास सांस लेता है!

यह बात तो आपको पता ही होगा कि कपास में वायु का आदान-प्रदान बड़ी आसानी से हो जाता है। इस वजह से हम कह सकते हैं कि कपास भी सांस लेता है। जिससे हमें कोई चर्म रोग भी नहीं होते। 

सूती वस्त्र पहनने पर आपको गर्मी में गर्मी का एहसास नहीं होता और सर्दी में सर्दी का एहसास नहीं होता। तो सबसे अधिक यदि आरोग्य वर्धक वस्त्र कोई है तो यह सूती वस्त्र ही है।

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अब फैसला आपके हाथ में है कि आपको क्या पहनना है। आरोग्य वर्धक सूती वस्त्र या फिर कोई अन्य वस्त्र।

धन्यवाद।


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