नमस्कार दोस्तों आपने कई बार सुना होगा कि इस कपड़े में टेरीकॉट है, इस कपड़े में पॉलिस्टर है, यह नायलॉन से बना हुआ कपड़ा है आदि-आदि।
तो आज मैं आपको बताऊंगा कि यह पॉलिस्टर, टेरीकॉट और नायलॉन जैसे पदार्थ आते कहां से हैं।
सिंथेटिक फाइबर होते क्या है?
सिंथेटिक अंग्रेजी का शब्द है जिसका हिंदी में अर्थ होता है अप्राकृतिक। दो तरह के रेशे इस दुनिया में पाए जाते हैं। प्राकृतिक और अप्राकृतिक।
प्राकृतिक रेशे
ऐसे रेशे जो हमें प्रकृति से स्वाभाविक रूप में मिल जाते हैं उन्हें प्राकृतिक रेशे कहते हैं। उदाहरण के तौर पर कपास और ऊन, यह दोनों रेशे के प्राकृतिक कहे जा सकते हैं।
कुछ कपड़े के विद्वान यह भी कह सकते हैं कि एक तीसरे दर्जे का रेशा भी है जिसको सिल्क कहा जाता है यह भी तो प्राकृतिक रेशा ही है। हां विज्ञान के हिसाब से आप इसे प्राकृतिक कह सकते हैं, पर असल में यह अप्राकृतिक है।
ऐसा मैं क्यों कह रहा हूं? क्योंकि सिल्क के कपड़े बनाने के लिए आप उसके कीड़ों को मार डालते हैं जो कि प्रकृति के विरुद्ध है। तो यह कपड़े भी अप्राकृतिक हुए।
अब आते हैं मुद्दे पर।
कैसे बनता हैं सिंथेटिक फैब्रिक?
सिंथेटिक फैब्रिक बनाने की सबसे आसान तरकीब मैं आपको बताने जा रहा हूं। सिंथेटिक फैब्रिक बनते हैं प्लास्टिक की बोतलों से।
आप कहेंगे यह तो आश्चर्य की बात हुई। प्लास्टिक की बोतल और फैब्रिक में कोई मेल ही नहीं बैठता है। पर यही असलियत है।
प्लास्टिक की बोतलों को पिघलाकर के उसको जैसे चाहें वैसे रेशों में बदला जा सकता है।
पर प्लास्टिक की बोतल कैसे बनती हैं?
मैं आपको पूर्ण विज्ञान की बात बताऊंगा। प्लास्टिक बनता है कच्चा तेल से। सो कैसे?
सबसे पहले जमीन के अंदर से कच्चा तेल निकालते हैं। फिर इस तेल को गर्म करके इसमें से कई पदार्थ निकालते हैं।
जब तेल गरम होने लगता है तो पेट्रोल, डीजल जैसी वस्तुएं नीचे रह जाती हैं और नेफथा, लिक्विड गैस जैसी वस्तुएं ऊपर को जाती हैं।
इस नेफथा को और ज्यादा गर्म किया जाता है जिससे यह है एथिलीन में बदल जाता है। एक एथिलीन दूसरे एथिलीन से मिलकर के पोलीएथिलीन बनाता है। जिसको सामान्य भाषा में पॉलिथीन कहते हैं।
पॉलीएथिलीन शुरुआत में तो पाउडर के जैसे होता है। फिर इसको भी पिघला कर के हम जैसा चाहे वैसा प्लास्टिक बना सकते हैं।
और इसी प्रक्रिया के जरिए हम सिंथेटिक फाइबर भी बना सकते हैं, जिनके उदाहरण हैं पॉलिस्टर, पॉलिप्रोपिलीन, नायलॉन, एक्रेलिक आदि-आदि।
फिर सवाल आता है कि जब तेल अथवा पेट्रोल प्राकृतिक है, भगवान की बदौलत हमें मिलता है, जब इससे ही हमारे कपड़े बनते हैं तो फिर ये अप्राकृतिक कैसे हुए?
यह अप्राकृतिक ऐसे हुए क्योंकि इस प्लास्टिक को बनाने के लिए जो तापमान दिया जाता है वह असामान्य तरीके से बहुत ज्यादा होता है।
जब इतने ज्यादा तापमान पर कोई चीज बनती है तो उसको वापस पुराने रूप में लाना अत्यधिक कठिन हो जाता है। इसलिए प्लास्टिक को पुराने रूप में फिर से तेल बनने के लिए दसों लाख सालों से ज्यादा लगते हैं।
तब तक यह प्लास्टिक कई वन्यजीवों के संपर्क में आकर उनको मार डालता है और पड़े रहने पर हमारी आंखों को चुभता है।
क्या होता है टेरीकॉट?
टेरीकॉट का मतलब होता है, ऐसा कपड़ा जो टेरिलीन और कॉटन के मिलाप से बना हो। टेरिलीन अर्थात पॉलिस्टर।
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