शीलवंत सबसे बड़ा, सब रतनन की खान।
तीन लोक की संपदा, रही शील में आन।।
संत कबीर कहते हैं कि जो व्यक्ति सुशील होता है वह सबसे अनोखा रत्न कहा जाएगा। उस शीलवंत के पास तीन लोक की संपदा है ऐसा माना जाएगा।
अर्थात् व्यक्ति को कुशील पाप नहीं करना चाहिए। कुशील पाप से अर्थ है कि किसी स्त्री या पुरुष को खराब नजरों से देखना। जो व्यक्ति ब्रह्मचर्य का पालन करता है वही सबसे बड़ा होता है।
इसलिए कबीर का कहना सार्थक है कि:
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