नमस्कार दोस्तों, आज मैं आपको बताने वाला हूं कि रंगों के मुख्य प्रकार कौन-कौन से हैं।
यदि आप विज्ञान के विद्यार्थी रहे हैं। और वह भी आधुनिक विज्ञान के, तो आपने ये शब्द जरूर सुने होंगे - प्रायमरी कलर्स।
अब यह प्रायमरी कलर्स होते क्या हैं? प्राइमरी कलर्स का हिंदी में मतलब है मूल रंग। ऐसे ही रंग जिनको हम कम ज्यादा मात्रा में मिलायें तो दुनिया का कोई भी रंग पा सकते हैं।
अब आप जब विज्ञान के विद्यार्थी रहे हैं तो आपको बताया गया होगा कि मूल रंग कौन-कौन से हैं। क्या बताया गया है आपको? लाल, हरा और नीला। यही ना? पर आपको क्या इस बात का अंदाजा भी है की विज्ञान किस हद तक गलत हो सकता है?
लाल, हरा और नीला में से कोई भी दो रंग निकाल कर आप इन्हें मिलाएंगे तो आपको दुनिया का हर एक रंग नहीं मिल सकता है। ऐसा क्यों? ऐसा इस वजह से क्योंकि हरा तो खुद पीले और नीले के मेल से बना हुआ है।
तो यदि हम विज्ञान के हिसाब से मान लेते हैं कि मूल रंग तीन ही हैं - लाल, हरा और नीला, तब तो फिर हमें पीला रंग स्वतंत्र रूप से मिल ही नहीं सकता।
तो यह इस बात का प्रमाण है कि विज्ञान हमेशा सत्य नहीं होता है।
मैंने यह कहां से जाना है कि मूल रंग कौन से हैं?
दोस्तों यह बात मैंने जैन मुनि से जानी है। वह एक बार अपने प्रवचनों में बता रहे थे कि चक्षु इंद्रिय का विषय क्या है। उन्होंने बताया की पीला, नीला, लाल, सफेद व काला, यह पांच रंग चक्षु इंद्रिय के विषय हैं।
तभी से मैंने इस बारे में खोज चालू की। और जब मुझे यह मालूम पड़ा कि हरा रंग स्वयं पीले व नीले रंग के मिश्रण से बना हुआ है तो मैंने यह जान लिया कि विज्ञान यहां पर भी झूठा है।
पर मैं तो विज्ञान का विद्यार्थी हूं तो ऐसे ही किसी साधु संत की बातों पर विश्वास थोड़े ही ना कर लूंगा। तत्पश्चात मुझे मिली एक किताब जिसका नाम है देशी रंगाई व छपाई। यह किताब सन् १९२५ के करीब लिखी गई थी।
प्रस्तुत है उस किताब का वह पन्ना जहां पर यह साफ रूप से लिखा हुआ है कि विज्ञान इस बारे में गलत है की मूल रंग ३ ही होते हैं - लाल, हरा और नीला।
इस किताब को आप प्रस्तुत लिंक के माध्यम से भी पढ़ सकते हैं।
यदि आप रंगाई और छपाई के विशेषज्ञ बनना चाहते हैं तो यह किताब आपको विशेष रूप से फायदा पहुंचाएगी।
तो कौन-कौन से हैं मूल रंग?
जैसा कि पहले बताया जा चुका है, मूल रंग पांच हैं - पीला, नीला, लाल, सफेद और काला।
इस पोस्ट के माध्यम से आपको सीखने मिला है कि भारत का रंग विज्ञान विदेशी रंग वाज्ञान से ज्यादा विकसित है।
आप फिर पूछेंगे कि कब यह इतना विकसित बना है? कभी तो इस चीज की भी भारत में खोज हुई होगी ना, कि प्राइमरी रंग पांच हैं?
तो कह सकते हैं कि यह ज्ञान तो ऋषि मुनियों के जमाने से है। हमें अपने इतिहास पर गौरव होना चाहिए।
ऐसा क्यों?
ऐसा इस वजह से क्योंकि प्रयोगात्मक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान भिन्न-भिन्न हैं।
धन्यवाद।
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