नमस्कार दोस्तों। यदि आपने महात्मा गांधी की आत्मकथा पड़ी है तो उसमें रस्किन की अन्टु दिस लास्ट के बारे में भी पढ़ा होगा। इस पुस्तक ने गांधीजी के जीवन पर चमत्कारी असर किया।
हम सभी ने पैसा कमाना ही जीवन का ध्येय बना रखा है। आप इस बात को जानते होंगे कि पैसे की होड़ में भारतीय लोग फिरंगियों के आने से पहले नहीं थे। पैसों के लिए जीना सिखाने में फिरंगियों का पूरा हाथ था।
पर एक फिरंगी जिसका नाम है जॉन रस्किन, वह बाकी सभी से अलग था। उसने दुनिया को अलग नजरिए से देखा। अपनी पुस्तक अंटु थिस लास्ट में रस्किन ने जो लिखा वह किसी खोज से कम नहीं है।
मोहनदास करमचंद गांधी के इस पुस्तक का सारांश लिखकर जनसामान्य के लिए उपकार किया। इस पुस्तक का नाम उन्होंने सर्वोदय रखा। यह पुस्तक गांधीजी ने १९०८ में लिखी।
प्रस्तुत है गांधी जी की सर्वोदय हिंदी भाषा में और अंग्रेजी में unto this last paraphrase (Sarvodaya)
जॉन रस्किन |
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